वे और तुम
उनकी नींद बढ़ गई है
तुम सोना कम कर दो
उनकी प्यास बढ़ गई है
तुम पीना कम कर दो
उनकी भूख बढ़ गई है
तुम कुछ नहीं कर सकते
वे शिकार ढूंढ़ लेंगे
(जनपथ में प्रकाशित )
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खोया हुआ सा कुछ ..............
7 comments:
अद्भुत..एक छंद में इतनी बड़ी बात कह दी आपने.. ईश्वर आपकी लेखनी को और शक्ति प्रदान करे..
"उनकी भूख बढ़ गई है
तुम कुछ नहीं कर सकते
वे शिकार ढूंढ़ लेंगे"
"देखत में छोटे लगें घाव करें गंभीर" - हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर रचना ।
bahut khoob......likhte raho!
Jai Ho Mangalmay ho
are gazab.....lazawaab....kyaa baat .......!!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
Achchha likh rahi ho...Shubhkamnayen.
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