Sunday 28 March 2010

वे और तुम
उनकी नींद बढ़ गई है
तुम सोना कम कर दो
उनकी प्यास बढ़ गई है
तुम पीना कम कर दो
उनकी भूख बढ़ गई है
तुम कुछ नहीं कर सकते
वे शिकार ढूंढ़ लेंगे
(जनपथ में प्रकाशित )

7 comments:

सम्वेदना के स्वर said...

अद्भुत..एक छंद में इतनी बड़ी बात कह दी आपने.. ईश्वर आपकी लेखनी को और शक्ति प्रदान करे..

Anonymous said...

"उनकी भूख बढ़ गई है
तुम कुछ नहीं कर सकते
वे शिकार ढूंढ़ लेंगे"
"देखत में छोटे लगें घाव करें गंभीर" - हार्दिक शुभकामनाएं

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

सुन्दर रचना ।

Unknown said...

bahut khoob......likhte raho!

Jai Ho Mangalmay ho

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

are gazab.....lazawaab....kyaa baat .......!!

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

देवांशु वत्स said...

Achchha likh rahi ho...Shubhkamnayen.