Sunday 23 September 2012


इस समय

इस समय,
चाँद से
परियों का बसेरा छिन गया है
और बच्चे भी तोड़ चुके हैं
किस्सागोई का जाल
और वहाँ की पथरीली जमीन पर
बल्ला घुमाने की सोच रहे हैं। 

 इस समय
 बारिश की बूंदें
रह नहीं गई हैं किसी नायिका के
काम भाव का उद्दीपक
और बसंत से नहीं कोई शिकायत
किसी प्रोषितपतिका को ।

 इस समय
 हमारी कला और संस्कृति
खजुराहों और अजंता में बंद हैं
हमारे सिर पर चीन
और जुबान पर अमेरिका है
और अब दो दो पाँच करना 
लीगल हो गया है
अब दलाई लामा भी निर्वासित हो चुके हैं
और सत्य साईं बाबा भी प्रस्थान कर चुके हैं
 इस समय 
 राखी इंसाफ कर रही हैं
और मल्लिका ज्यूरी की प्रधान हैं
और
सुनामी की खबरों के बीच भी हम
कमर्शियल होना नहीं भूल रहे हैं
इस समय जीवात्मा और परमात्मा
दोनों अद्वैत हैं
हर गली में भगवान है
और सब के वस्त्रों का रंग गेरुआ है
इस समय विचारक
चौक चौराहे पर स्तंभित हैं
बाकी सब बोल रहे हैं
और सब के कान बंद हैं
 इस समय
 स्कोर के लिए
बच्चे हैरतअंगेज करनामें कर रहे हैं
और हम आलोचना करते करते
वकालत करने लग रहे हैं ।


  इस समय
 पैदल चलने के लिए पैरों की नहीं
हिम्मत की जरूरत है
और स्कूलों में हिन्दी बोलना
बच्चे के लिए चुनौती है ।

यह समय
नया धर्म, नया ईश्वर
नया आइडल चुनने का है
और वह मात्र एक एस एम एस से
चुना जा सकता है ।