।। मछली की आँखों में ।।
नहीं
मछली का दोष नहीं था
दूषित था भेदक का लक्ष्य
और उससे भी अधिक
उनका निशाना
मछली का घूमते रहना
तय किया उसी ने
दोनों ध्रुवों के बीच
और पलक झपकने की
सजा भी मुकर्रर कर दी
छीन लिया
उससे उसका पानी
उसके आसपास की आबोहवा
और भेद दी उसकी आंखें
स्वंय को साबित करने में!
यह जाने बगैर
कि अनगिनत शैवालों की
परछाइयाँ थी उसमें
सरीसृपों की आभा से भरा
एक दृश्य था
और उस दृश्य की प्रतिच्छाया में
छिपा था एक सत्य
उस सत्य को पहचानने की
शक्ति नहीं थी भेदक की आंखों में
संभव है
मछली भोग रही हो
किसी जन्म का शाप
या लाखों योनियों के शाप से
मुक्त हो रही हो
इस बार मछली आकृति भर नहीं थी
जिसे अर्जुन ने साधा था
भेदक बंधा था
व्याकरणिक कुशलता के घेरे में
वह धार से अलग
बह नहीं सकता था
प्रशिक्षण के सीमित सांचो में ढला वह
असीम अनुभूतियों से परे था
इसलिए मछली की आंखों को
पढ नहीं सकता था.
नहीं
मछली का दोष नहीं था
दूषित था भेदक का लक्ष्य
और उससे भी अधिक
उनका निशाना
मछली का घूमते रहना
तय किया उसी ने
दोनों ध्रुवों के बीच
और पलक झपकने की
सजा भी मुकर्रर कर दी
छीन लिया
उससे उसका पानी
उसके आसपास की आबोहवा
और भेद दी उसकी आंखें
स्वंय को साबित करने में!
यह जाने बगैर
कि अनगिनत शैवालों की
परछाइयाँ थी उसमें
सरीसृपों की आभा से भरा
एक दृश्य था
और उस दृश्य की प्रतिच्छाया में
छिपा था एक सत्य
उस सत्य को पहचानने की
शक्ति नहीं थी भेदक की आंखों में
संभव है
मछली भोग रही हो
किसी जन्म का शाप
या लाखों योनियों के शाप से
मुक्त हो रही हो
इस बार मछली आकृति भर नहीं थी
जिसे अर्जुन ने साधा था
भेदक बंधा था
व्याकरणिक कुशलता के घेरे में
वह धार से अलग
बह नहीं सकता था
प्रशिक्षण के सीमित सांचो में ढला वह
असीम अनुभूतियों से परे था
इसलिए मछली की आंखों को
पढ नहीं सकता था.