1. विरोधाभास
आखिर वह पहुंचा वहाँ
जहां पे थे सब झुके हुए
उसका अकेला तन के खड़ा रहना
सामाजिक नहीं था
अंततः उसे झुकना पड़ा ।
फिर जाना उसने
झुकने के कई फायदे
झुक कर रहने में
सहूलियत होती थी
नीचे का पड़ा उठाने में
जिसका सर पर हाथ था
उसके पाँव सहलाने में,
आंखे स्वतः ही बच जाती थी
सच से नजर मिलाने में
और आने वाले दिनों में जाना उसने
ज्यों ज्यों झुकता गया जियादा
उठता गया ऊपर..... और...... ऊपर !!!
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